Saturday, June 28, 2008

ई देखो बिग्यापोन


(कबाड़खाने का दूसरा आधिकारिक विज्ञापन )

अभी रोशन हैं चाहत के दिये हम सबकी आँखों में
बुझाने के लिये पागल हवायें रोज़ आती हैं .
- मुनव्वर राना

6 comments:

Arun Arora said...

लालटेनवा कित्ते का दिया जी , जे तो बताईयेगा :)

डा. अमर कुमार said...

ई लालटेनवा जीवन के अंधेरों को भी रोशन करेगा कि नहीं ?
घास पर रखा क्या कर रहा है ?

आशीष कुमार 'अंशु' said...

लालट्रेन दिखाकर दिए की बात,
बहूत नाइंसाफ़ी है

संदीप said...

शेर अच्‍छा लगा....

इत्‍तेफाक से पहले नहीं सुना या पढ़ा था...

Udan Tashtari said...

मुन्नवर राना का शेर-बहुत दमदार.

Som said...

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