Tuesday, July 7, 2009

थोड़ा और बड़ा हुआ हमारा कुनबा



मुनीश शर्मा लम्बे समय से ब्लॉगजगत में मौजूद हैं - खूब उम्दा और अकल्पनीय सब्जेक्ट्स पर लिखते हैं. उनके कमेन्ट्स भी आमतौर पर पोस्ट्स को समृद्ध करते हैं. मेरे दोस्त हैं. हमने बढ़िता वक़्त साथ गुज़ारा है. कई दफ़ा.



रंगनाथ सिंह से रू-ब-रू परिचय नहीं मगर हर बात को तर्किकता की सान पर कसने के हिमायती इस नौजवान, अक्लमन्द साथी की यहां कबाड़ख़ाने पर लम्बे समय से दरकार थी. उनके कमेन्ट्स ने कबाड़ख़ाने पर इधर चली बहसों को अर्थवान दिशाएं दिखलाने में बहुत साहस और धैर्य का परिचय दिया है.

मुझे प्रसन्नता है कि इन दोनों ने कबाड़ी बनना स्वीकार किया.

इन दोनों की तरफ़ से खूब सारा मानीख़ेज़ कबाड़ यहां देखने को मिलेगा, ऐसी मेरी कामना भी है और आशा भी.

ख़ुशआमदीद भाइयो!

7 comments:

विनीत उत्पल said...

badhai

Arvind Mishra said...

शुभागमन !

Unknown said...

badhai

शुभागमन !

आशुतोष उपाध्याय said...
This comment has been removed by the author.
आशुतोष उपाध्याय said...

इनके आने से कबाड़खाने की ताक़त बढ़ी. स्वागत है गराईं!

Anil Pusadkar said...

स्वागत है।कबाड़ियों का कुनबा यूंही फ़लता-फ़ुलता रहे।

ravindra vyas said...

etani khushi hai ki utani apne kabadi banane per bhi nahin hui thi! khoob saari shubhkamnayen aur badhai!