Sunday, September 13, 2009

एक किताब के बहाने

खाने के साथ नए नए प्रयोग करने में गहरी दिलचस्पी रखने वाले मेरे एक मित्र के घर पर कुकिंग बुक्स की एक पूरी आल्मारी है. अभी कुछ दिन पहले मैं यूं ही उनमें से कुछ किताबों को पलट रहा था तो एक किताब के शीर्षक ने अपनी तरफ़ खींचा. शीर्षक था:'मैमोरीज़ विद फ़ूड एट जिप्सी हाउस'.

पहली बार तो यह लगा कि सम्भवतः यह बंजारों के खानपान पर कोई किताब हो सकती है. लेकिन किताब खोलते ही एक नाम देख कर मैं सुखद आश्चर्य से भर उठा. यह किताब मेरे सर्वप्रिय लेखकों में से एक रोआल्ड डाल के घर 'जिप्सी हाउस' की रसोई में बनने वाले व्यंजनों और उनसे सम्बन्धित दिलचस्प किस्सों की खान निकली. स्वयं रोआल्ड डाल और उनकी पत्नी फ़ेलिसिटी डाल की लिखी यह पुस्तक एकबारगी मुझे पिछले करीब पच्चीस-तीस सालों में रोआल्ड डाल की किताबों से मिले अपार रोमांच और आनन्द की स्मृतियात्रा में घसीट ले गई.



बीसवीं सदी में सबसे ज़्यादा पढ़े गए लेखकों में शुमार रोआल्ड डाल ने उपन्यास लिखे, बच्चों के लिए किताबें लिखीं और सबसे महत्वपूर्ण यह कि एक से एक अविस्मरणीय कहानियां लिखीं.

नॉर्वेजियन मूल के माता-पिता के घर वेल्स, इंग्लैण्ड में १३ सितम्बर १९१६ को जन्मे (यानी आज उनका जन्मदिन भी है) डाल ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान रॉयल एयर फ़ोर्स में नौकरी की. १९४० के दशक से उन्होंने पूर्णकालिक लेखन को जीवनयापन का माध्यम बना लिया. कुछ ही सालों में वे दुनिया भर की बैस्टसैलर्स की सूची में नियमित रूप से पाए जाने लगे. आज भी यानी अपनी मौत (२३ नवम्बर १९९० को उनका देहान्त हुआ) के करीब बीसेक सालों बाद उनका यह रुतबा कायम है.

उनकी कहानियां अपने आशातीत क्लाइमैक्स के लिए जानी जाती हैं. यह डाल साहब की ख़ूबी है कि वे आप को अन्त तक बांधे रहते हैं और आमतौर पर आख़िरी पंक्ति में आपको हैरत में डाल देते कि अरे ...! उनकी कहानियों में सीधे सादे ग्रामीण, धूर्त पादरी, यौनवर्धक दवाओं की खोज में जुटे रहने वाले व्यवसायी, सतत कामुक और बेहद ज़हीन और कुलीन अंकल ओसवाल्ड, किशमिश को पानी में डाल फुला देने के उपरान्त उसमें घोड़े की पूंछ के बाल का ज़रा सा टुकड़ा फंसा कर जंगली मुर्गियों के शिकार हेतु चारे की तरह इस्तेमाल करने वाला क्लाउड, एक से एक वैज्ञानिकी कारनामे, नेत्रहीनों के लिए ब्रेल में लिखी गई पोर्नोग्राफ़ी ... और जाने क्या क्या लगातार आता रहता है आपको चमत्कृत करता रहता है.

उनका बाल साहित्य इस तरह के आम साहित्य से काफ़ी फ़र्क है. बचपन और कैशोर्य की अपनी असाधारण समझ के चलते रोआल्ड डाल अपने युवतर पाठकों को बच्चा नहीं समझते और उनके लिए ख़ाली संवेदनापूर्ण विषयों का निर्माण नहीं करते. उनके बालसाहित्य का अपेक्षाकृत 'ब्लैक ह्यूमर' मुझे तो और किसी लेखक में नज़र नहीं आया. सम्भवतः इसी वजह से डाल बच्चों में भी उतने ही लोकप्रिय हैं. उनकी पुस्तकों की बिक्री हर साल बढ़ती जाती है.

अगर आपने डाल को नहीं पढ़ा है तो कहीं से उनकी कोई किताब का जुगाड़ बनाइये और जुट जाइए. द ट्विट्स, एडवैन्चर्स ऑफ़ अंकल ओसवाल्ड, चार्ली एन्ड द चॉकलेट फ़ैक्ट्री, माटील्डा, द बीएफ़जी, किस किस, बिच वगैरह उनकी कुछ प्रमुख किताबें हैं. वैसे उनकी प्रतिनिधि कहानियों के छोटे छोटे संग्रहों से लेकर समग्र संकलन भी उपलब्ध हैं.

पहले आप को 'मैमोरीज़ विद फ़ूड एट जिप्सी हाउस' के एक दिलचस्प हिस्से के बारे में बताता हूं. किताब में व्यंजनों, कॉकटेल्स, बेकरी पर शानदार फ़ोटोग्राफ़्स और इलस्ट्रेशन्स से सजे कई पन्ने हैं. पर एक हिस्सा ग़ज़ब का मज़ेदार है. 'द हैंगमैन्स सपर' नामक इस खंड में 'जिप्सी हाउस' में रह चुके प्रख्यात व्यक्तियों ने बताया है कि अगर उन्हें अगली सुबह फांसी दी जानी तय हो तो वे अपने 'लास्ट सपर' में क्या खाना पसन्द करेंगे.

१९९० में डाल की मौत प्री-ल्यूकीमिया के कारण हुई. जाहिर है ऐसे ग़ज़ब के आदमी का अन्तिम संस्कार ऐसा-वैसा नहीं हो सकता था. उन्हें किसी वाइकिंग की तरह विदाई दी गई (वाइकिंग्स के बारे में फिर कभी). उनके साथ दफ़नाई गई चीज़ों में निम्नलिखित वस्तुएं थीं:
- रोआल्ड के स्नूकर क्यूज़
- शानदार बरगन्डी शराब की कुछ बोतलें
- चॉकलेटें
- एच. बी. पेसिलों के कुछ डिब्बे
- बिजली से चलने वाली एक छोटी आरी.

२००६ के बाद से समूचे यूरोप में १३ सितम्बर को रोआल्ड डाल दिवस के रूप में मनाए जाने की परम्परा चल निकली है. यकीन न हो तो इस लिंक को देखिये:

Celebrate Roald Dahl Day

डाल के साथ जुड़ाव इस कदर अन्तरंग रहा है कि लिखते चले जाने की इच्छा हो रही है. लेकिन फ़िलहाल इतना ही.











6 comments:

Ashok Kumar pandey said...

जीभ पर ज़ोर नहीं भैय्ये, ये वो आफ़त है कि मत कहिये!!!

चाक्षुस भोजन

Publisher said...

बहुत ही उमदा जानकारी दी। इस किताब ने आपको ही नहीं कई ब्लॉगर्स को बहुत कुछ दे दिया है। बधाई

Anonymous said...

किताब के बहाने रोआल्ड की ज़िंदगी के कई पन्ने खोल दिए आपने। अच्छी जानकारी

प्रीतीश बारहठ said...

रोचक

Unknown said...

Thanks Ashokji for writing on Roald Dahl.
Some years ago when my son started to read and showed interest in witty and humorous stories,we discovered Roald Dahl's writings and enjoyed all his books.

दीपा पाठक said...

रोआल्ड मेरे भी पसंदीदा लेखकों में शामिल हैं। ठंडी सिहरन के साथ अजीब तरीके से बैचेन कर देने वाले उनकी कहानियों के अंत ही उनकी खासियत है। उनके रसोईघर से जुङी जानकारी देती यह पोस्ट खासी दिलचस्प है।