Tuesday, September 21, 2010

ताकि किसी को कोई गलतफहमी न हो

अजेर्न्टीनी कवि रोबेर्तो हुआर्रोज़ (1925 1995) बीसवीं सदी की लातीन अमरीकी कविता के प्रमुख स्तम्भों में गिने जाते हैं। उन्होंने कुल चौदह कविता संग्रह प्रकाशित करवाए जिन्हें एक से चौदह तक का क्रमांक देकर ’पोएसिया वेर्तीकाल’ यानी ‘वर्टिकल पोइट्री’ का नाम दिया गया. पहला संग्रह १९५८ में आया था जबकि दूसरा मृत्योपरान्त १९९७ में. हुआर्रोज़ की कविताओं का अंग्रेज़ी अनुवाद सबसे पहले डब्लू. एस. मरविन ने किया था. ऑक्तावियो पाज़ ने उनकी कविता भाषा की तुलना "रोशनी के मनकों से बनी माला" से की थी. पेश है ’पोएसिया वेर्तीकाल’ से एक टुकड़ा कविता:

एक दिन आयेगा

एक दिन आयेगा
जब हमें खिड़की के शीशों को गिराने के लिये उन्हें धकेलने की
जरूरत नहीं होगी
न कीलों को ठोकने की उन्हें थामे रखने को
न पत्थरों पर चलने की उन्हें खामोश रखने को
न स्त्रियों के चेहरों को पीने की उन्हें मुस्कराने देने को
यह एक महान मिलन की शुरूआत होगी
यहां तब कि ईश्वर भी बोलना सीख जायेगा
और शरमीले अनन्तों की उसकी गुफा में
हवा और रोशनी प्रवेश करेगी
तब तुम्हारी आंखों और तुम्हारे पेट के बीच कोई फर्क नहीं रहेगा
न मेरे शब्दों और मेरे मुंह के बीच
पत्थर तुम्हारी छातियों जैसे होंगे
और मैं अपनी कविता का निर्माण अपने हाथों से करूंगा
ताकि किसी को कोई गलतफहमी न हो

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच उधाड़ती भविष्य की आशा।