Friday, February 25, 2011

वक़्त की कैद में जिंदगी है ...


मलिका-ए-ग़ज़ल फरीदा खानुम ने कई गज़लें गायीं हैं | लेकिन जितना लोकप्रिय ये खूबसूरत गीत हुआ है, उतना उनका गाया कोई दूसरा नहीं हुआ | कलकत्ता में जन्मी फरीदा पार्टीशन के बाद लाहौर चली गयीं | फरीदा हिंदुस्तान से मिले प्यार को सर माथे लेतीं हैं | और ये भी कहती हैं कि उन्हें अगर बुलाया जाए तो उन्हें हिंदुस्तान में रहने में भी कोई गुरेज नहीं है | यहाँ ये भी ध्यान दिलाना चाहूँगा कि हिंदुस्तान को लेकर ये प्यार राहत, आतिफ जैसा प्यार नहीं है | लता मंगेशकर की बेहद मुरीद फरीदा को पाकिस्तान का दूसरा सर्वोच्च सम्मान हिलाल-ए-इम्तियाज़ भी मिला है |
बहरहाल फरीदा के इस गीत में है प्यार की बेबसी और प्रेमियों की इक बेबाक तमन्ना कि बस आज मत जाओ | संगीत कभी तुम्हे जख्म नहीं दे सकता, लेकिन उस दर्द का हल्का अहसास पैदा कर सकता है |  


2 comments:

richa said...

फरीदा जी की गायी मेरी पसंदीदा ग़ज़लों में से एक... सुनवाने का शुक्रिया !!
और जब फरीदा जी की बात चली है तो "मोहब्बत करने वाले कम ना होंगे" या फिर "उज्र आने में है" भी सुनवा दीजिये :)

वाणी गीत said...

फरिदाजी की गई गजलों में से सबसे लोकप्रिय ...वाकई !