Monday, February 21, 2011

The Reluctant Fundamentalist


मोहसिन हामिद की किताब The Reluctant Fundamentalist एक पाकिस्तानी युवा चंगेज़ का एकालाप है. लाहौर के एक रेस्तरां में चंगेज़ और उसका अमेरिकी मेहमान मेज़ पर आमने सामने बैठ कर रात का भोजन कर रहे हैं. अमेरिकी मेहमान और उसकी पहचान के बारे में हमें कुछ ज्यादा पता नहीं चलता. बस समय समय पर चंगेज़ उसे संबोधित करता हुआ कथा को थोड़ी देर का विराम ज़रूर देता है. ऐसा कहीं कहीं लगता है की अमेरिकी संभवतः चंगेज़ का पीछा करता रहा है क्योंकि चंगेज़ हाल के समय में अमेरिकियों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों का नेतृत्व करने लगा है. अमेरिकी एक खास मिशन पर है, ऐसा लग सकता है - शायद उसके पास कोई हथियार भी है.

चंगेज़ अमेरिकी मेहमान को अपने जीवन के बारे में विस्तार से बताता है. पढने-लिखने में खासा तेज़ चंगेज़ ९/११ घटने से पहले प्रिंसटन जैसे बड़े संस्थान से डिग्री हासिल करने के बाद एक नामचीन्ह फ़र्म में ऊंची तनख्वाह वाली नौकरी कर रहा था और कॉर्पोरेट जगत में उसका भविष्य बेहद उज्ज्वल नज़र आ रहा था. वह एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में मनीला गया होता है जहाँ टीवी पर उसे ९/११ के आतंकवादी हमलों की जानकारी मिलती है.

यह किताब सिर्फ ९/११ के पहले और उसके बाद जैसी थीम पर ही नहीं है. इसमें चंगेज़ का एक अटपट तरह का प्रेम-प्रसंग भी है - एरिका नाम की युवती से जो किशोरावस्था में मर गए अपने पहले प्रेमी की याद से ओब्सेस्ड रहती है और अंततः आत्महत्या कर लेती है.

उपन्यास का शीर्षक की विडम्बना समझाने के लिए हामिद हमसे बार-बार पूछते है कि क्या किसी भी मुस्लिम देश में रहने वाला कोई भी अमेरिका-विरोधी कट्टरपंथी घोषित कर दिया जन चाहिए या यह कि क्या यह शब्द (कट्टरपंथी) विशुद्ध रूप से अमेरिकी उच्च पूंजीपति समुदाय के लिए उचित नहीं है. अमेरिका में अपने शुरुआती दिनों के दौरान जब एक बार उसे अपने अमीर अमेरिकी साथियों के साथ लम्बी छुट्टी पर जाने का अवसर मिलता है तो धन के उनके भौंडे प्रदर्शन को देख कर हैरान चंगेज़ सोचता है:

“I ... found myself wondering by what quirk of human history my companions — many of whom I would have regarded as upstarts in my own country, so devoid of refinement were they — were in a position to conduct themselves in the world as though they were its ruling class.”

९/११ के बाद अमेरिका कि प्रतिक्रिया भी चंगेज़ को हैरत में डालती है:

"t seemed to me that America, too, was increasingly giving itself over to a dangerous nostalgia at that time. There was something undeniably retro about the flags and uniforms, about generals addressing cameras in war rooms and newspaper headlines featuring such words as duty and honor. I had always thought of America as a nation that looked forward; for the first time I was struck by its determination to look back."

किताब की शुरुआत में चंगेज़ ऐलान करता है कि वह अमेरिका से प्रेम करता है. लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाती है अमेरिका के ढीठ और संवेदनाहीन रवैये के प्रति उसका तार्किक विरोध उत्तरोत्तर मुखर होता जाता है:

"As a society, you were unwilling to reflect upon the shared pain that united you with those who attacked you. You retreated into myths of your own difference, assumptions of your own superiority. And you acted out these beliefs on the stage of the world, so that the entire planet was rocked by the repercussions of your tantrums, not least my family"

१९७१ में पाकिस्तान में जन्मे मोहसिन हामिद ने अपने बचपन के कुछ साल अमेरिका में गुज़ारे जहाँ उनके पिता स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में अपने शोध के सिलसिले में रह रहे थे. ९ वर्ष कि आयु में वे वापस पाकिस्तान आ गए. उच्च शिक्षा के लिए वे १८ का होने पर पुनः अमेरिका गए जहाँ उन्होंने प्रिन्सटन विश्वविद्यालय में पढाई करते हुए नोबेल पुरुस्कार प्राप्त लेखिका टोनी मॉरिसन जैसे अध्यापकों से शिक्षा पाई.

हार्वर्ड से कानून कि शिक्षा पाने के बाद हामिद २००१ में लन्दन आ गए. २००९ तक लन्दन में कई नौकरियां करने के बाद वे अपनी पत्नी और पुत्री के साथ लाहौर शिफ्ट हो गए. मोहसिन हामिद फिलहाल अपना समय लाहौर, लन्दन, न्यूयॉर्क, इटली, यूनान वगैरह जगहों पर बिताते हैं अपने लेखन के बारे में उनका कहना है - "अक्सर एक उपन्यास किसी खंडित व्यक्ति का अपने खुद के साथ संवाद भी हो सकता है"

मान बुकर अवार्ड के लिए नामित की गई हामिद की किताब The Reluctant Fundamentalist कोई क्लासिक तो नहीं कही जा सकती पर एक बार पढ़े जाने की दरकार ज़रूर रखती है.

1 comment:

Syed Ali Hamid said...

I had read 'Moth Smoke' by the same novelist a few years back and found it quite interesting. I'll try to get hold of this novel too.

By the way, have you changed you E-mail? I have not received any reply to my last couple of mails.