Friday, May 20, 2011

ठुमक चलत रामचन्द्र


पंडित दत्तात्रेय विष्णु पलुस्कर से सुनिए यह विख्यात भजन. १९२१ में जन्मे, पंडित विष्णु दिगम्बर पलुस्कर के पुत्र डी. वी. बचपन से काफ़ी प्रतिभाशाली थे. दस वर्ष के थे जब पिता का देहान्त हो गया. उनके संगीत-प्रशिक्षण का ज़िम्मा पंडित विनायकराव पटवर्धन और पंडित नारायणराव व्यास ने सम्हाला. १४ वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी पहली परफ़ॉर्मेन्स दी. ग्वालियर घराना और गन्धर्व महाविद्यालय की परम्पराएं उन्हें विरासत में मिली थीं पर उन्हें दूसरे घरानों और शैलियों से कभी कोई गुरेज़ न था. यह भारतीय संगीत का दुर्भाग्य रहा कि सिर्फ़ ३४ की आयु में इन्सेफ़ेलाइटिस के कारण उनकी जीवनलीला समाप्त हो गई.

5 comments:

पारुल "पुखराज" said...

आनंदम !

Neeraj said...

वाह ! मज़ा आ गया |

सागर said...

shukriya.

vandana gupta said...

वाह वाह्……………आनन्द आ गया सुनकर्।

प्रवीण पाण्डेय said...

पलुस्करजी के स्वर में सुनकर आनन्द आ गया।