Tuesday, May 24, 2011

मेरे अकेलेपन ने पूरी कर ली है अपनी पढ़ाई

एवा लिप्स्का की दो और कविताएं -


कोई नहीं

मैं इस लैण्डस्केप से सहमत हूं
जो है ही नहीं.

पिता थामे हुए एक वायोलिन
बच्चे उसकी ध्वनि को चाटते हुए.

एक झोंका
ग़ुलाब की पंखुड़ियों को सहलाता है.

फिर युद्ध. हम एक दूसरे की निगाह से दूर हो जाते हैं.
पूरे वाक्यों में ठुंसे शब्द छिपाए हुए हैं अपने को.

एक पुराने अपार्टमेन्ट हाउस में
गोधूलि में खड़ा
एक ख़ाली कमरा.

"कृपया सन्देश छोड़ जाएं"
कहता है कोई नहीं.


मेरा अकेलापन

मेरे अकेलेपन ने पूरी कर ली है अपनी पढ़ाई
वह समय का पाबन्द था और उसने बहुत मेहनत की.
उसे दिए गए तमाम तमग़े और इनामात.

लोकप्रिय है पाठ्यक्रम.
हज़ारों पाठक इस से गुज़रते हैं
चीज़ें लिखते हुए.
उन्हें मिटाते हुए.

वह शासन करने से आजिज़ आ चुका है
फ़्रेडरिक महान की तरह.

उसके अभी से कुछ शिष्य बन चुके हैं
डरे हुए और चापलूस.

सार्वजनिक है मेरा अकेलापन
वह बैठा है अपने पिंजरे में
कतर दिए जा चुके खा़मोशी के उसके पंख.

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