Saturday, July 7, 2012

मेघ मेघ - पंडित गोकुलोत्सव महाराज


पंडित गोकुलोत्सव महाराज की वाणी में यह रचना मैं पिछले दो सालों से लगातार यहाँ बरसातों में लगाता आ रहा हूँ. इसी क्रम को निरंतर बनाए रखते हुए एक बार पुनः वही कम्पोजीशन. मूल बंदिश में पंडिज्जी ने अपनी तरफ से कुछ पंक्तियाँ जोड़ी हैं. पंडिज्जी ने अपने जीवनकाल में हज़ार से अधिक बंदिशें रची हैं. वे "मधुरपिया" उपनाम से इन रचनाओं को करते आये हैं. ध्यान से सुनने पर इस कम्पोजीशन के आख़िरी में भी आप उनके इस उपनाम को सुन सकते हैं -

No comments: