Monday, December 31, 2012

प्रचारमंत्री के बगै़र कोई लड़की राज़ी नहीं होगी गर्भवती होने को



बर्तोल्‍त ब्रेख्‍़त की इस कविता का अनुवाद वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्‍द्र जैन ने किया है -

शासन करने की मुश्‍किलें

मंत्रीगण हमेशा लोगों को बताते हैं
कि शासन करना कितना मुश्‍किल काम है
मंत्रियों के बगै़र मकई डाल पर
नहीं उगेगी, ज़मीन में पकेगी
यदि सम्राट इतने चतुर न हों तो
कोयले का एक टुकड़ा तक खदान को
नहीं छोड़ेगा

१.

प्रचारमंत्री के बगै़र कोई
लड़की राज़ी नहीं होगी गर्भवती होने को
युद्धमंत्री के बगै़र कोई युद्ध
ही नहीं होगा, वाकई,
क्‍या पता सुबह सूरज न उगे
सम्राट की अनुमति के बगै़र
यह संदेहास्‍पद है और यदि वह
उगा, ग़लत दिशा में होगा

२.

इतना ही मुश्‍किल है, वे बताते हैं
कि कारखाना चलाना, मालिक
के बग़ैर दीवारें गिर पड़ेंगी और
मशीनों को जंग लग जायेगा ऐसा
वे बताते हैं
यदि कहीं कोई हल बनाया जाये
वह कारखाना मालिक के चतुर
शब्‍दों में कभी ज़मीन तक पहुँचेगा ही नहीं

३.

यदि शासन करना आसान होता
सम्राट जैसे प्रेरणास्‍पद मस्‍तिष्‍कों की
ज़रूरत ही न होती
यदि मज़दूर जानता कि मशीन कैसे
चलायी जाये और यदि रसोई में बैठा
किसान अपने खेत के बारे में बता पाता
तो वहाँ कारखाना मालिक या भूपति की
ज़रूरत ही न होती
ये सब इसलिये कि वे सब मूर्ख हैं
कि कुछ चुने हुए होशियार लोग ही चाहिए

४.

या शायद
शासन करना इसलिये मुश्‍किल होता हो
कि हेराफेरी और शोषण के लिए
भी कुछ शिक्षा चाहिए?

1 comment:

Anonymous said...

प्रभावी लेखन,
जारी रहें,
बधाई !!