Sunday, December 29, 2013

बीमार तूफ़ान बहता आता है रात के हस्पताल में : बेई दाओ की कविताएँ – १


चीनी कवि बेई दाओ का असली नाम झाओ झेन्काई है. २ अगस्त १९४९ को बीजिंग में जन्मे इस कवि ने यह नाम इसलिए रखा कि उनकी मातृभूमि उत्तरी चीन में है और वे एकाकीपन को पसंद करते हैं. (बेई दाओ का चीनी में अर्थ हुआ उत्तरी द्वीप. यह झिफू द्वीप का एक और नाम भी है.चीनी कवियों के समूह ‘मिस्टी पोयट्स’ के वे सबसे प्रतिनिधि स्वर हैं. यह समूह चीनी सांस्कृतिक क्रान्ति के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के विरोध में था.

बेई दाओ की कुछ कविताओं के अनुवाद मैंने इस साल लोकमत समाचार की वार्षिकी ‘दीप भव’ के लिए किये थे. वहीं से साभार -

अपने पिता के लिए

फरवरी की एक ठंडी सुबह
बांज के पेड़ अंततः होते हैं उदासी के आकार के
पिता,तुम्हारी फ़ोटो के सामने
अस्सी बार तहाई गयी हवा शांत बनाये रखती है मेज़ को

बचपन की दिशा से
मैंने हमेशा तुम्हारी पीठ को देखा
जब आप हांके लिए जाते थे काले बादलों और भेड़ों को
बादशाहों के मार्ग पर

एक वाचाल हवा बाढ़ लेकर आती है
गलियों का तर्क बना रहता है लोगों के दिलों के भीतर
मुझे बुलाते हुए आप बन जाते हैं पुत्र
आपका पीछा करता मैं बन जाता हूँ पिता

हथेली पर रास्ता बनाता भाग्य
सूरज और चन्द्रमा और तारों को गति देता है
एक इकलौते पुरुष दिए के नीचे
हरेक चीज़ की होती हैं दो छायाएं

घड़ी की सुई मशक्कत करती है बनाने को
एक न्यून कोण, फिर बन जाती है एक
बीमार तूफ़ान बहता आता है रात के हस्पताल में
भड़भड़ करता तुम्हारे दरवाज़े पर

किसी मसखरे की तरह आती है भोर
लपटें बदलती हैं तुम्हारी चादरें
जहां थम जाती है घड़ी
सरसराता गुज़रता है समय का तीर

चलो पहुचा जाय मौत की बग्घी तक
सोते का रास्ता , एक चोर
उलटपुलट रहा है पहाड़ों के ख़ज़ाने को

एक नदी घूमती है गीत के दुःख के गिर्द

2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

वाह !

कुमार अम्‍बुज said...

ये मेरे प्रियतम कवियों में हैं। मेरे पास इनके दो संग्रह हैं, जिनकी कविताऍं जब-तब पढ़ना जरूरी है। आपने यहॉं इस तरह याद किया, खुशी हुई।