Tuesday, April 29, 2008

परवीन सुल्ताना की आवाज़ में अब सुनिये रागेश्री



असमिया पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली परवीन सुल्ताना ने पटियाला घराने की गायकी में अपना अलग मुकाम बनाया है. उनके परिवार में कई पीढ़ियों से शास्त्रीय संगीत की परम्परा रही है. परवीन सुल्ताना के गुरुओं में आचार्य चिन्मय लाहिरी और उस्ताद दिलशाद ख़ान प्रमुख रहे हैं. पिछले दिनों मैंने कबाड़ख़ाने पर उन की आवाज़ में रागेश्री सुनवाने की कोशिश की थी पर कुछ तकनीकी कारणों से ऐसा संभव न हो सका. आज सुनिये वह रचना.


boomp3.com

3 comments:

पारुल "पुखराज" said...

kya baat hai..waah..bahut bahut shukriyaa

अजित वडनेरकर said...

परवीन सुल्ताना जी की गायिकी का मुरीद मैं भी हूं।
खासतौर पर उनकी दानेदार मुरकियां, दमदार खनकदार तानें और अति तार सप्तक तक सुरों की
चलत-फिरत कमाल लगती है।
शुक्रिया ...

sanjay patel said...

क्या बात है अशोक भाई.
रागे श्री के अदभुत रंग.
परवीन आपा भारतीय शास्त्रीय संगीत का जगमगाता कलश हैं.ख़ाकसार को कई बार उन्हें मंच पर प्रस्तुत करने का मौक़ा मिला है.वे सूरत और सीरत का जीता जागता मेल हैं.बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ साहब की गायकी को आत्मसात करते हुए ज़िस तरह से वे अमीर ख़ाँ साहब को भी स्पर्श कर जाती हैं वह कमाल का कारनामा होता है. हालाकि वे अपनी गायकी को पटियाला घराने की गायकी ही कहती हैं लेकिन अमीरख़ानी गायकी का वैभव भी कुछ रूहानी तरीक़े से उनकी गायकी में आता है ...मेरी इस बात के हवाले से भी भी वेगम साहिबा को कभी सुनियेगा.हाँ कभी हमें सिखा दीजियेगा ये ऑडियो अपलोड करना.बहुत कुछ है मेरे पास जो ज़माने का हो जाए तो अच्छा.