Tuesday, September 29, 2009

दो बरस का कबाड़ख़ाना



आज कबाड़ख़ाना दो बरस का हो गया. एक हज़ार से ज़्यादा पोस्ट्स की यह यात्रा अब तक ठीकठाक चलती रही है और इसे पाठकों ने लगातार स्नेह और प्रोत्साहन दिया है. उम्मीद करता हूं यह सिलसिला जारी रहेगा और हम आपके लिए और उम्दा कबाड़ जुटा सकेंगे इस बरस भी. आप सभों का धन्यवाद.

ख़ास पेशकश के बतौर सुनिये पंडित राजन मिश्र-साजन मिश्र की आवाज़ों में राग अड़ाना. बन्दिश है "तान कप्तान, छा गयो जग में फ़तेह अली ख़ान."



पुनश्च: ब्लॉगवाणी आज से पुनः चालू हो गया है. उस की टीम ने अपने प्रशंसकों की गुज़ारिशों का मान रखा, इसके लिए वह धन्यवाद की अधिकारी है.

6 comments:

Udan Tashtari said...

वर्षगांठ की बधाई.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

दो बरस की सार्थक ब्लागरी के लिए बधाई। आप की ब्लागरी की जादूगरी बरसों-बरस चलती रहे, यही कामन है।

साहित्यशिल्पी said...

कबाड_खाना को वर्षगाँठ की हार्दिक बधाई। दो वर्ष में आपने बडा कार्य कर दिखाया है, आपकी यह उर्जा तथा दिशा निरंतर जारी रहे।

शुभकामनाओं सहित।

- साहित्य शिल्पी से राजीव रंजन प्रसाद

कामता प्रसाद said...

कबाडखाना पर जरा और वैविध्‍य लाइये। जन सरोकारों से जुड़े मसलों का भी यह मंच बने तो और अच्‍छा रहेगा। कहने का आशय यह कि देश-दुनिया में जारी जन-संघर्षों की बाबत भी यहां कुछ लिखा-पढा जाये।

Asha Joglekar said...

Do sal poore hone kee hardik badhaee.

अजित वडनेरकर said...

बधाई हो अशोक जी,
देहरादून भी जबर्दस्त रहा।