Saturday, August 10, 2013

जमुना किनारे मेरी ऊंची हवेली, मैं ब्रज की गोपिका नवेली


किसी ज़माने में भरी डबडब आँखों के साथ प्यारे रघु भाई यानी मैसी साहब वाले रघुबीर यादव इस रचना को सुनाया करते थे. आज सुनिए पंडित मुकुल शिवपुत्र से वही शानदार रचना -