अजन्ता देव के पांच माहिये
1.
खुलने से खुले बस्ता
तू कितनी महँगी है
मै भी तो नहीं सस्ता.
2.
ये जोग बिजोग के दिन
काटेगा भला कैसे
कमबख्त बड़ा कमसिन.
3.
ये रेत का दरिया है
पानी का धोका है
और सोन मछरिया है.
4.
हाँ मैंने दिया है दिल
पर सारे क़िस्से में
ये चाँद भी है शामिल.
5.
आंधी के पत्ते हैं
उड़ते फिरते रहते
दिल्ली कलकत्ते हैं.
अजन्ता देव |
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