Sunday, August 2, 2009

वे गाते हैं कई पुराने गीत, जिन में आज की कोई ख़ुदगर्ज़ आवाज़ नहीं

अनीता वर्मा की कविता 'झारखंड' दरअसल अकेले झारखंड की कविता नहीं है. यह हमारे स्वातंत्र्योत्तर समाज में आए एक व्यापक राजनैतिक-सामाजिक पतन का दस्तावेज़ है.



झारखंड

हमने अल्बर्ट एक्का को चौराहे का पहरेदार बना दिया है
वह देखता रहता है दिन-रात भीड़, जुलूस, धरने और प्रदर्शन
उसकी आत्मा वहीं ज़मीन पर बैठी सुनती रहती है
नेताओं के झूठे बोल और आश्वासन
धूल, गर्द, गर्मी और पसीने के बीच वह देखता है हमारी धरती का गौरव
बड़े-बड़े होर्डिंग्स और पोस्टर
लालची और बेईमान चेहरे
गांवों-जंगलों से हांक कर लाए गए आदिवासियों की भोली निष्पाप सूरतें
वे कुछ नहीं समझते उनके हक़ में क्या है
न्याय क्या है लड़ाई क्या है
वे तो बस हथियार और जयजयकार हैं
शाम होते लौट जाते हैं अपने गांव
दिन-भर गुड़, चना, सत्तू, दाल-भात खाकर
फिर सोचते भी नहीं कोई करेगा उनका भला

रोज़ रात वे सब मिलते हैं
एक जगह बैठते हैं सब
बिरसा मुंडा, अल्बर्ट एक्का,जतरा, बुधू भगत,
सिद्धू कान्हू, तिलकामांझी, नीलांबर पीतांबर
मशालों के बॊचोबीच बैठे करते हैं गुफ़्तगू
फिर धीरे-धीरे इकठ्ठे होते हैं ढेरों जा चुके लोग
अपने-अपने ताबूतों को उठाए तीर-धनिष हथियारों से लैस
गाते हैं कई पुराने गीत, जिन में आज की कोई ख़ुदगर्ज़ आवाज़ नहीं
वे सब अब लौट कर नहीं आएंगे
और हममें ऐसा कुछ नहीं रह गया
कि हम उनके गीतों के पीछे-पीछे जा सकें कुछ दूर तक.

(कबाड़ख़ाने में अनीता जी की कविताएं यहां भी:

प्रभु मेरी दिव्यता में सुबह-सबेरे ठंड में कांपते रिक्शेवाले की फटी कमीज़ ख़लल डालती है
प्रार्थना
वान गॉग के अन्तिम आत्मचित्र से बातचीत
सभ्यता के साथ अजीब नाता है बर्बरता का)

*अल्बर्ट एक्का चौक रांची की फ़ोटो www.ranchi.net से साभार.

5 comments:

विजय गौड़ said...

अच्छी चुनिंदा कविता प्रस्तुत करने के लिए आभार अशोक भाई।

मुनीश ( munish ) said...

During my brief sojurn in Ranchi , I witneesed another chowk named after the brave Havildar Abdul Hamid of Indian Army, but this chowk was in a bad shape. When will we learn to respect the memorials of those who laid down their lives for us ?

Unknown said...

सादगी, चेतना, पारदर्शी अंतः और काम्पलेक्स इनसाइट। आज पहली बार अनिता वर्मा की कबाड़खाने पर पोस्ट कविताएं पढ़ीं। धन्यवाद।

वाणी गीत said...

अच्छी कविता..!!

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर कविता। आभार पढ़वाने के लिये।